शराब का नशा क्यों चढ़ता है
शराब का नशा क्यों चढ़ता है ? नशा करना बहुत बुरी चीज है शराब पीने के बाद आदमी होश में नहीं रहता है| और उसे पता भी नहीं होता कि वह क्या कर रहा है। आज के समय में छोटे-छोटे बच्चे भी शराब पीने लग जाते हैं, और अपना जीवन खराब कर देते हैं।
तो चलिए आज हम आपको शराब के बारे में विस्तार से बताएंगे, कि शराब हमारे शरीर में जाकर क्या – क्या करती है। तथा हमे शराब का नशा क्यों चढ़ता है ?
शराब का नशा क्यों चढ़ता है –
जब हम शराब पीते हैं, तो शराब सीधे हमारे पेट में जाती है| और पाचन तंत्र से होते हुए छोटी आंत में जाते हैं| छोटी आंत के कारण यह हमारे खून में मिल जाती हैं| मुख्य तौर पर पेट में, खाने की मात्रा भी शराब का खून में मिलने की क्रिया पर असर करती है| क्योंकि जब हम खाना खा लेते हैं, तो खाना खाने के बाद Bolgioric Shincter बंद हो जाती है|
जो छोटी आंत को पेट से अलग करती हैं, इसलिए जब हम खाली पेट में शराब पीते हैं, तो शराब की मात्रा बहुत जल्दी और ज्यादा मात्रा में खून में घुलने लग जाती हैं। क्योंकि उस समय Bolgioric Shincter का दरवाजा खुला होता है।
अब शराब खून से होते हुए ऐसे अंगो की ओर जाती है, जहा खून का बहाव ज्यादा होता है|हमारे शरीर में ज्यादा बहाव वाले 2 अंग हैं – लीवर और मस्तिष्क|
शराब सबसे पहले लीवर पर असर करती हैं और जो एंजाइम लीवर में मौजूद होते हैं वह शराब मतलब एल्कोहल मॉलिक्यूल को 2 तरीके से तोड़ते हैं – ADH और ALDH
सबसे पहले ADH एंजाइम शराब को एसिड Acetaldehyde में तोड़ देता है, जो एक जहर होता है।
दूसरा ALDH एंजाइम Acetaldehyde जहर को Acetate में बदल देता है| और यह एसीटेट जहरीला पदार्थ नहीं होता है, यह एक नॉनटॉक्सिक पदार्थ होता है।
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खून का भाव हमारे शरीर में चलता रहता है| जैसे-जैसे खून का बहाव हमारे शरीर में चलता रहता है, वैसे वैसे लीवर शराब को लगातार दूर करते रहता है| और यह शराब खून के बहाव के साथ मस्तिष्क और दूसरे अंगों में पहुंच जाता है।
शराब अब मस्तिष्क में पहुंचकर न्यूरोट्रांसमीटर को तोड़कर गैस में बदल देता है, जो ग्लूटामेट में बदल जाती है| जिसकी वजह से मस्तिष्क की न्यूरो सुस्त पड़ जाते हैं, और बातचीत करने के संकेत देने के लायक नहीं रहते हैं।
इसलिए जो इंसान ही समय कम शराब पीता है, वह रिलैक्स हो जाता है और थका हुआ महसूस करता है| और जो इंसान ज्यादा मात्रा में शराब पी लेते हैं, उनको जल्दी नींद आने लगती है और वह होश खो बैठते है| तथा उनको यह भी पता नहीं होता कि वह क्या बोल रहे हैं, क्या कर रहे हैं।
अलग-अलग लोगों के मस्तिष्क के न्यूरो पर शराब का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है| कुछ लोगों में शराब मस्तिष्क के न्यूरो के एक छोटे ग्रुप को उत्तेजित करती है, जिससे मस्तिष्क के मध्य भाग में डोपामाइन की भार पैदा हो जाती हैं| जो शराब पीने वाले व्यक्तियों को आनंद देती हैं| यह लोग शराब पीते ही गाने, नाचने, हंसने लगते हैं।
कुछ लोगों के मस्तिष्क में शराब न्यूरो को सिंथेसाइज करके एन्डोलफिंज़ छोड़ती है, जिसके कारण शराब पीने वाला व्यक्ति ज्यादा टेंशन या खतरे की स्थिति में भी शांत हो जाता है| और उसका शरीर शांति महसूस करता है। यह सब कुछ एन्डोलफिंज़ के कारण होता है| शराब का नशा खून की मात्रा और मस्तिष्क के न्यूरो की उत्तेजना पर निर्भर करता है।
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