महल मड़वा का रहस्य – विवाह पर राजा का अनोखा उपहार।
छत्तीसगढ़ प्राचीन इतिहास का भंडार है। छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर से 9 किलोमीटर की दूरी पर खेतों और पेड़ों के बीच चौरागांव के पास एक छोटा सा शिव मंदिर है। इस मंदिर को मड़वा महल या दूल्हादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर का निर्माण 1349 संवत् ईस्वी में फणीनागवंशी राजा रामचंद्र देव ने करवाया था। राजा रामचंद्र देव का विवाह हैहयवंशी राजकुमारी अंबिका देवी के साथ हुआ था। इन दोनों के विवाह के उपलक्ष्य में राजा ने इस मंदिर को बनवाया था।
मड़वा महल में उकेरे सारे आसन कामसूत्र नामक से प्रेरित हैं। जो कि वास्तव में अनंत प्रेम और सुंदरता का प्रतिक हैं। तंत्र विद्या पर तत्कालीन नागवंशीयो राजाओं का बहुत विश्वास थाI चलिए अब जानते है, मड़वा महल का अद्भुत रहस्य क्या है
मड़वा महल का रहस्य – विवाह पर बनाया गया महल
इस मंदिर में कुल 16 मंडप है। छत्तीसगढ़ में विवाह के मंडप को मड़वा कहा जाता है। विवाह का मंडप होने के कारण इस मंदिर को मड़वा महल कहा जाने लगा। इसे दूल्हा देव मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि विवाह में दूल्हे की उपस्थिति रहती है तथा राजा रामचंद्र देव इसी मंदिर में दूल्हा भी बने थे। मंदिर आयताकार है। मंदिर का मुख पश्चिम की ओर है। मंदिर के अंदर एक प्राचीन शिवलिंग की स्थापना की गई है।
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मंदिर का गर्भ गृह काले रंग के पत्थरों से निर्मित है। गर्भ गृह की बाहरी दीवारों पर 54 मिथुन मूर्तियों को पत्थरों पर बनाया गया है। सभी मूर्तियां आंतरिक प्रेम और सुंदरता को दिखाती है। यहां सामाजिक और गृहस्थ जीवन को प्रदर्शित करने की कोशिश की गई है। मड़वा महल में आज भी कई स्थानों पर शुभ और मांगलिक कार्य की प्रतीक हल्दी के निशान दिखाई देते हैं। जो मंदिर की दीवारों और खंभों पर है।