दिन में दो बार गायब हो जाता है यह शिव मंदिर।
हमारे भारत देश में ऐसी बहुत सी जगह है, जिनके पीछे किसी ना किसी तरह का कोई चमत्कार छिपा हुआ है और उन चमत्कारों के आगे विज्ञान ने भी अपनी हार मान ली है। ऐसे में लोगों का विश्वास भगवान के प्रति और भी पक्का हो जाता है।
आज हम आपको एक ऐसी जगह की जानकारी देने वाले हैं, जिसके बारे में जानने के बाद आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे। जी हां! दिन में दो बार गायब हो जाता है यह शिव मंदिर। गुजरात के बड़ोदरा से करीब 40 किलोमीटर दूर जंबूसर तहसील में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है जो देखते ही देखते गायब हो जाता है और फिर अचानक ही दोबारा दिखने लगता है। जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा करने आते हैं वे मंदिर के वापस आने का इंतजार करते हैं।
इस मंदिर को स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव का यह अद्भुत और चमत्कारिक मंदिर दिन में रोजाना दो बार, सुबह और शाम को कुछ देर के लिए गायब हो जाता है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर अरब सागर के तट पर मौजूद है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज आज से लगभग 150 वर्ष पूर्व की गई थी। इस मंदिर में जो शिवलिंग है उसकी ऊंचाई लगभग 4 फुट और इसका व्यास 2 फुट है।
शिवजी का यह अनोखा मंदिर समुद्र तट के किनारे स्थित होने की वजह से जब भी समुद्र में ज्वार आता है तो यह मंदिर पूरी तरह से पानी में डूब जाता है और जब ज्वार उतरता है तब यह मंदिर दोबारा नजर आने लगता है। श्रद्धालु इसे समुद्र द्वारा शिव का अभिषेक करना कहते हैं और लोग दूर-दूर से इस नजारे को देखने आते हैं।
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
इस मंदिर से जुड़ी कथा स्कंद पुराण में मिलती है। जिसके अनुसार राक्षस ताड़कासुर ने अपने कठोर तपस्या के बल पर शिव जी से आशीर्वाद प्राप्त किया था कि उसकी मृत्यु केवल तभी संभव है जब शिवजी का पुत्र उसकी हत्या करें। शिव जी ने उसे यह वरदान दे दिया और वरदान मिलते ही ताड़कासुर ने पूरे ब्रह्मांड में उत्पात मचाना प्रारंभ कर दिया। उसके इस उत्पात को समाप्त करने और लोगों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए बालरूप कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध किया। लेकिन कार्तिकेय को जब यह ज्ञात हुआ की ताड़कासुर शिव जी का भक्त था, तब वह व्यथित हो गए और उन्होंने देवताओं के मार्गदर्शन में महीसागर संगम तीर्थ पर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की। जो आज स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से विख्यात है।